Mansi savita

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लेखनी प्रतियोगिता -13-May-2023

मैं कलम से शब्दों में समेट नहीं सकती मां को,
जिन्होंने जन्म दिया बड़ा किया।
आज लेखनी की हकदार है वो,
जो बन पाई मैं कुछ थोड़ी बहुत,
मेरे मेहनत है पर वो साथ है।
जो मेरी ख्वाब जो थे पूरा करने का श्रेय उन्हें,
मेरे हार में साथ वो थी देखो,
मेरी जीत की प्रयास है वो।
जब लड़खड़ाए कदम मेरे तो
उंगली मेरी वो थामती थी,
बीमार होने पे डॉक्टर को दोष
दे नजर मेरी उतारती थी।
अब जान गए गोलमोल नही
रिश्ता खून का वो,
कोई और नही मेरे मां है वो मेरी मां है वो।।

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3 Comments

madhura

14-May-2023 01:57 PM

very nice

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बहुत खूब

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Punam verma

14-May-2023 07:01 AM

Very nice

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