लेखनी प्रतियोगिता -13-May-2023
मैं कलम से शब्दों में समेट नहीं सकती मां को,
जिन्होंने जन्म दिया बड़ा किया।
आज लेखनी की हकदार है वो,
जो बन पाई मैं कुछ थोड़ी बहुत,
मेरे मेहनत है पर वो साथ है।
जो मेरी ख्वाब जो थे पूरा करने का श्रेय उन्हें,
मेरे हार में साथ वो थी देखो,
मेरी जीत की प्रयास है वो।
जब लड़खड़ाए कदम मेरे तो
उंगली मेरी वो थामती थी,
बीमार होने पे डॉक्टर को दोष
दे नजर मेरी उतारती थी।
अब जान गए गोलमोल नही
रिश्ता खून का वो,
कोई और नही मेरे मां है वो मेरी मां है वो।।
madhura
14-May-2023 01:57 PM
very nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
14-May-2023 08:57 AM
बहुत खूब
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Punam verma
14-May-2023 07:01 AM
Very nice
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